कर्नाटक में कांग्रेस इस समय अपने सबसे बड़े आंतरिक नेतृत्व संकट से गुजर रही है।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री-प्रदेश अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार (DKS) के बीच सीएम पद की अदला-बदली को लेकर संघर्ष खुलकर सामने आ गया है।
हालात इतने बिगड़ गए कि कर्नाटक राज्य वोक्कालिगारा संग—वोक्कालिगा समुदाय की सबसे प्रभावशाली संस्था—ने खुलकर शिवकुमार के समर्थन में उतरकर कांग्रेस को कड़ा अल्टीमेटम दे दिया है।
नीचे पूरे संकट का एक कालानुक्रमिक विश्लेषण (Timeline) और गहरी राजनीतिक रीडिंग दी गई है।
🕰️ टाइमलाइन: कर्नाटक कांग्रेस संकट कैसे भड़का?
🟦 मई 2023 – विधानसभा चुनाव और “सीक्रेट 2.5+2.5 डील”
- कांग्रेस ने 135 सीटें जीतकर ऐतिहासिक वापसी की।
- जातीय संतुलन साधने के लिए हाई कमान ने एक गुप्त पावर-शेयरिंग फॉर्मूला तैयार किया:
- पहले 2.5 साल – सिद्धारमैया CM
- अगले 2.5 साल – शिवकुमार CM
- यह समझौता 5–6 वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में हुआ बताया जाता है।
वोक्कालिगा वोटरों ने कांग्रेस को इसलिए वोट दिया क्योंकि शिवकुमार के CM बनने की उम्मीद दिखाई गई थी।
🟦 20 नवंबर 2025 – 2.5 साल पूरे, संकट की शुरुआत
- पावर रोटेशन का दिन आते ही शिवकुमार खेमे ने सक्रियता बढ़ाई।
- 50+ विधायक उनके समर्थन में दिल्ली रवाना हुए।
- सिद्धारमैया समर्थक 70+ विधायक काउंटर-लॉबी में उतर आए।
🟦 26 नवंबर 2025 – DKS का क्रिप्टिक संदेश
शिवकुमार का X पोस्ट वायरल:
“Ambition is not wrong, but one must know when to step aside.”
यह सीधे-सीधे हाई कमान पर दबाव बनाने जैसा कदम माना गया।
- उसी दिन खड़गे पहली बार “लीडरशिप क्राइसिस” स्वीकार करते हैं।
- चर्चा में यह भी आया कि शिवकुमार ने ज्योतिषियों से शुभ मुहूर्त पूछे हैं।
🟦 27 नवंबर 2025 – वोक्कालिगा संग की धमाकेदार एंट्री
कर्नाटक राज्य वोक्कालिगारा संग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा—
“समुदाय ने Congress को वोट सिर्फ इसलिए दिया क्योंकि शिवकुमार CM बनने वाले थे। अगर धोखा हुआ, तो बड़ा सबक सिखाएंगे।”
मुख्य बातें:
- शिवकुमार को “अनुशासित सिपाही” और “135 सीटों के आर्किटेक्ट” बताया गया।
- संग ने चेतावनी दी कि अगर वोक्कालिगा स्वामियों के साथ अन्याय हुआ, तो वे जोरदार आंदोलन करेंगे।
- यह कांग्रेस के लिए बड़ा चुनावी जोखिम है—विशेषकर दक्षिण कर्नाटक में।
🟧 कांग्रेस हाई कमान के बयान और सत्ता समीकरण
मल्लिकार्जुन खड़गे
- कहा: “सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मैं—हम मिलकर इसे सुलझाएंगे।”
- सिद्धारमैया और शिवकुमार को दिल्ली बुलाया गया।
- 1 दिसंबर से पहले समाधान का लक्ष्य।
सिद्धारमैया
- बोले:
“कुछ कंफ्यूजन है, लेकिन मुझे भरोसा है।” - उनका दावा: 2.5 साल का फॉर्मूला लिखित समझौता नहीं है।
डी.के. शिवकुमार
- वफादारी दिखाते हुए बोले:
“मैं पार्टी को शर्मिंदा नहीं करूंगा। लेकिन मैं नेतृत्व की मुख्यधारा में रहूंगा।”
G. Parameshwara का ट्विस्ट
- कहा:
“मैं हमेशा से CM की दौड़ में था।” - यानी दावेदार अब तीन हो चुके हैं।
🟩 गहरी राजनीतिक विश्लेषण
🔷 1. संकट की असली जड़ क्या है?
- सत्ता-बंटवारे की अनौपचारिक “जेंटलमैन एग्रीमेंट” अब पार्टी की फूट का कारण बन गया है।
- शिवकुमार मानते हैं कि 2023 की जीत का श्रेय उन्हें है—
- जेल गए
- संगठन खड़ा किया
- दक्षिण कर्नाटक में Vokkaliga वोटर वापस लाए
- सिद्धारमैया मानते हैं कि उन्हें स्थिरता और अनुभव के नाम पर पूरा कार्यकाल मिलना चाहिए।
🔷 2. वोक्कालिगा संग की चेतावनी क्यों खतरनाक है?
- वोक्कालिगा आबादी: 15–17%
- कर्नाटक की राजनीति का सबसे शक्तिशाली जातीय ब्लॉक
- संग का खुला बयान मतलब—
- बड़ी सामाजिक लामबंदी
- कांग्रेस के खिलाफ बॉयकॉट मूवमेंट
- दक्षिण कर्नाटक में 20–30 सीटों का सीधा नुकसान
🔷 3. कांग्रेस पर तात्कालिक प्रभाव
Short-Term Damage
- BJP सोशल मीडिया पर इसे “कांग्रेस की रोज़ की लड़ाई” कहकर ट्रोल कर रही है।
- अगर 1 दिसंबर तक समाधान न हुआ तो—
- संभावित फ्लोर टेस्ट
- विद्रोह
- स्थिरता पर बड़ा प्रश्न
🔷 4. संभावित परिणाम (Probability Estimates)
✅ 1. सिद्धारमैया यथास्थिति (60%)
हाई कमान उन्हें पूरा कार्यकाल दे सकती है।
DKS को “बड़ा इनाम” देकर शांत किया जा सकता है।
✅ 2. DKS को CM बनाया जाना (30%)
वोक्कालिगा दबाव के कारण।
पर इससे बैकवर्ड क्लास (Kuruba/SC/ST) ग्रुप नाराज़ हो सकता है।
❗ 3. तीसरा चेहरा – परमेेश्वर (10%)
बहुत कम संभावना, लेकिन राजनीतिक गणित बिगाड़ सकता है।
🔴 निष्कर्ष: संकट सिर्फ सत्ता का नहीं, ‘कास्ट वि. कमांड’ का है
कर्नाटक कांग्रेस का यह पूरा विवाद दर्शाता है कि—
- केंद्र बनाम प्रदेश नेतृत्व
- जातिगत दबाव बनाम राजनीतिक स्थिरता
- लॉयल्टी बनाम लॉन्ग-टर्म रणनीति
…इन सबके बीच हाई कमान फंस चुकी है।
वोक्कालिगा संग ने जिस तरह चेतावनी दी है, वह सिर्फ बयान नहीं—
बल्कि 2028 के चुनाव की दिशा तय कर देने वाली धमकी है।
अगले 72 घंटे (1 दिसंबर तक) कांग्रेस के लिए सबसे निर्णायक रहने वाले हैं।
